Laptop wala Soofi
- 25 Posts
- 479 Comments
तुम गिनते हो सुख दुःख की सिलवटें हर दिन
और वो बूढा है एक जो हर दिन
जीने की फ़क़त मोहलतें गिनता है
तुम गिनते हो जमा की गयी दौलतें हर दिन
और वो गरीब है एक जो हर दिन
अपनी कभी न पूरा होने वाली जरूरतें गिनता है
तुम गिनते हो अपने खाने की लुत्फदोजियाँ हर दिन
और वो भूखा है एक जो हर दिन
कूड़े में फेंके झूठन गिनता है
तुम गिनते हो अपने हँसते बच्चों की किलकारियां हर दिन
और वो बाप है एक जो हर दिन
अपने भूख से कलश्ते बच्चे की सिसकियाँ गिनता है
तुम गिनते हो किसी शोख बाला के आँखों का आमंत्रण हर दिन
और वो एक अभागा है जो हर दिन
लोगों की नज़रों की उपेक्षाएं गिनता है
ताज्जुब है कि न कभी तुम्हारी गिनती ख़त्म होती है
न कभी उसकी गिनती ख़त्म होती है
Read Comments